जयपुर । बांदीकुई शहर में चोरों के साथ साथ उत्पाती बंदरों का सितम बढ़ता ही जा रहा है। लेकिन बंदरों के सितम से आमजन को राहत पहुचाने के लिए  नगर पालिका प्रशासन एक दशक मे करीब दस  लाख रुपए से अधिक की राशि कागजों में  खर्च कर चुकी है। जिसका परिणाम है कि एक दशक में उत्पाती बंदर सैकड़ों महिला, पुरुष व बच्चों पर कहर ढाह चुके हैं। मजे की बात तो यह है कि बंदर झुंड के रूप में आए दिन किसी ना किसी के घर में घुसकर या फिर मंदिर, सब्जी मंडी परिसर या अन्य सार्वजनिक स्थानों पर आमजन को चोटिल  कर रहे हैं।
नगर पालिका प्रशासन के उदासीन रवैए की आए दिन आमजन द्वारा भर्त्सना की जा रही है। हाल ही में बंदरों ने शहर के वार्ड 27 में वृद्धा बसंती देवी के शरीर को जगह जगह से नोंच डाला। महिला का अस्पताल में उपचार चल रहा है। नगर पालिका क्षेत्र में उत्पाती बंदरों की समस्या आजकल की नहीं बल्कि वर्षो पुरानी है। इस सतस्या से आमजन को राहत पहुंचाने के लिए अब कई नगर पालिकाध्यक्ष अपने स्तर पर प्रयास कर चुके हैं लेकिन उनके प्रयास नौकरीशाही के आगे अब तक टॉय-टॉय फिस्स रहे हैं। बंदरों के उत्पात से आमजन को राहत पहुंचाने के लिए लाखों की राशि व्यय कर ठेके भी दिए जाते रहे हैं, लेकिन कमीशन खोरी और मॉनेटिरिंग के अभाव में सही मायने में बंदर पकडेÞ नहीं गए। ठेके की शर्तों के तहत पकड़े गए बंदरों को शहर से करीब पचास किलोमीटर दूर सरिस्का के जंगलों में छोडऩे का प्रावधान होता है लेकिन  ठेकेदार शहर के आस पास इन्हें छोडक़र इतिश्री करते आए हैं। ऐसे में शाम को छोड़े गए बंदर देर रात तक वापस अपने आश्रय स्थल पर आ धमकते हैं और  पुन आमजन को सिरदर्द पैदा करते रहे हैं। बंदर घरों में घुसकर फ्रीज से सब्जी, फल ,दूध व अन्य खाद वस्तु उठाकर ले जाते है ,किचिन में घुसकर  खाना  ले जाते हैं। नीरज कुमार मीना, एसडीएम का कहना है कि बंदरों के आंतक से आमजन को मुक्त रखने के लिए पूर्व में नगर पालिका प्रशासन को धारा 133 के तहत नोटिस जारी कर बंदरों को पकड़वा कर दूर भेजने के निर्देश दिए थे लेकिन नगर पालिका ने प्रशासन ने निर्देशों की पालना नहीं है। नगर पालिका प्रशासन को एक बार फिर से नोटिस जारी कर बंदरों को पकड़वाने का  काम शुरू कराया जाएगा, जिससे आमजन को इनके आंतक से मुक्ति मिल सके।