नई दिल्ली । अदालतों में लंबित मुकदमों के बोझ को कम करने के लिए देश की सर्वोच्च अदालत ने एक महत्वपूर्ण फैसला करते हुए 13 हजार से अधिक मामलों को समाप्त कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने 13 हजार 147 पुराने मामलों को हटा दिया। इन मामलों को दर्ज तो किया गया था लेकिन उन्हें रजिस्टर नहीं किया गया था। रजिस्ट्रार न्यायिक प्रथम चिराग भानु सिंह की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि ये सभी मामले आठ साल से अधिक समय पहले दर्ज किए गए थे। रजिस्ट्री की ओर से गलतियों को ठीक करने के डायरेक्शन के बावजूद संबंधित वकील या याचिकाकर्ता सुप्रीम कोर्ट नहीं पहुंचे। ऐसे मामलों की वजह से लंबित केस की संख्या यह भी नंबर जुड़ते जा रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड आंकड़ों के मुताबिक 1 सितंबर, 2022 तक 70,310 मामले पेंडिंग थे इनमें 51,839 विविध (मिसलेनियस) मामले और 18,471 मामले नियमित सुनवाई से संबंधित थे। सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार के आदेश में कहा गया है कि मामलों के पक्षकार मुकदमा आगे चलाने का इरादा नहीं रखते हैं क्योंकि उन्होंने कई साल बाद भी उन गलतियों को नहीं सुधारा जो बताई गई थी। अधिकारी ने बताया कि पहले की प्रथा के अनुसार रजिस्ट्री की ओर से दोषों को सूचित करते हुए कोई कागजात नहीं रखे गए थे। इस प्रकार सभी गलतियों को ठीक करने के बाद ही वकील एक पूरा सेट दाखिल करेगा। 19 अगस्त 2014 के बाद ही वादपत्र और न्यायालय शुल्क टिकटों की एक प्रति रजिस्ट्री के पास रखने का प्रावधान किया गया था।
रजिस्ट्रार के आदेश में कहा गया है कि पुराने नियमों के तहत, संबंधित पक्षों को 28 दिनों के भीतर दोषों को ठीक करना था, जिसे 90 दिनों तक बढ़ा दिया गया था। पार्टियां इस तरह अधिसूचित दोषों को ठीक करने और ठीक करने के लिए वर्षों तक कोई प्रभावी कदम उठाने में विफल रही हैं। गलतियों को ठीक करने की वैधानिक अवधि समाप्त हो गई है। ऐसा लगता है कि याचिकाकर्ता या वकील (मुकदमे) पर आगे मुकदमा चलाने का इरादा नहीं है। ऐसे लोगों को कई वर्षों तक अनुमति दी गई थी, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।