जयपुर । राजस्थान की शान शाही ट्रेन पैलेस ऑन व्हील्स ढाई साल बाद फिर दौड़ेगी पटरी पर राजा रजवाड़ों के महल वाली इस शाही ट्रेन के सफर का दीदार सैलानी 12 अक्टूबर से कर सकेंगे। जानकारी के मुताबिक मार्च 2020 में ट्रेन का संचालन आखिरी बार हुआ था इसके बाद कोरोनो के चलते ट्रेन का संचालन नहीं हो सका, हालांकि यह ट्रेन राजस्थान पर्यटन निगम के लिए हमेशा घाटे का सौदा साबित हुई. इस साल यह देखने वाली बात होगी कि सैलानियों की संख्या में कितना इजाफा होता है।
राजस्थान पर्यटन निगम की ओर से प्रयास करने के बाद ट्रेन का रिनोवेशन कर खामियों को दूर किया गया है ढेहर के बालाजी में ट्रेन के डिब्बों में नई सीटें रंग रोगन इंटीरियर सहित अन्य सुविधाओं को बेहतर किया गया है, जिससे सैलानियों को सफर में कोई परेशानी न हो. राजपूताना शैली के साथ ही इस बार गुलाबी थीम पर रंग रोगन किया गया.पैलेस ऑन व्हील्स भारत की पहली लग्जरी ट्रेन है. इसे 26 जनवरी 1982 को शुरू किया गया था, यह राजस्थान की सबसे नामी ट्रेन है, जो दिल्ली से चलकर यात्रियों को राजस्थान के अलग-अलग किले और महलों वाले स्थान की सैर कराती है. इस ट्रेन में 39 डिलक्स केबिन और 2 सुपर डिलक्स केबिन हैं. इन डिलक्स केबिन में 82 यात्रियों को जगह दी जाती है. हर केबिन के साथ अटैच्ड वॉशरूम है. हर केबिन का नामकरण राजस्थान के महल और किले पर रखा गया है. इस ट्रेन की खूबसूरती भी बेहद खास है. ट्रेन के हर कोच को अंदर से फिरोजा, माणिक और मोती के रंगों से सजाया गया है दो रेस्त्रां भी बनाए गए हैं, जिसमें मेहमानों को रॉयल फूड पेश किया जाता है. यह शाही ट्रेन सैलानियों को एक सप्ताह तक यात्रा करवाती है। आरटीडीसी चेयरमेन धर्मेंद्र राठौड़ ने बताया कि भारतीय रेलवे व निगम के मध्य ओएंडएम मॉडल पर ट्रेन का संचालन होगा आखिरी बार 2020 में ट्रेन से पर्यटक सफर कर पाये थे आंकड़ो के मुताबिक ट्रेन के ऑफ ट्रैक रहने से पर्यटन निगम को करीब 20 करोड़ रुपए का नुकसान हो चुका है. ट्रेन के संचालन का जिम्मा संभालने वाले पूर्व अधिकारी ने बताया कि सब खर्च निकालने के बाद पांच करोड़ रूपए के आसपास लाभ होता था. जानकारी के मुताबिक यात्रा की बुकिंग का कुल 56 प्रतिशत खर्च रेलवे को टिकट का, वहीं 44 प्रतिशत पर्यटन निगम के आसपास बचता था।